कटेरा (झाँसी) लगातार हो रही बरसात किसानों के लिए कहर बन गयी। खरीफ की फसल में पानी भर जाने से पूरी फसलें मटियामेट हो गयीं तथा किसानों की लागत डूब जाने से कर्ज का बोझ बढ़ने से बुरी तरह मायूस हैं। राहत के नाम पर अभी तक पूरे किसानों को मुआवजा भी नसीब नहीं हो पाया था कि फिर किसानों पर काली छाया मंडराने लगी है।
प्राकृतिक आपदा के दंश से किसान अभी उबर नहीं पाये थे कि बरसात से अकाल की स्थिति पैदा हो गयी है। कटेरा के किसान जगोले जैन, जग्गी नीखरा ने बताया कि 40 विघा से अधिक जमीन में तिली, उर्द और मूंगफली की फसल बोयी गयी थी जिसे शुरू में रुक रुककर पानी मिलने से फसल दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही थी। पर अगस्त माह से शुरू हुई बरसात ने 5 दिन में ही फसल को बर्बाद कर दिया। तिली, उर्द के खेतों में पानी भर जाने से पूरी फसल नष्ट हो चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र के किसान प्रताप सिंह, हीरालाल यादव, रामनरेश यादव, ताहर यादव, मातादीन यादव, रामकिशन यादव, पहलवान पाल, बब्बू पाल, महेन्द्र सिंह ठाकुर, मुन्ना ठाकुर, आजाद जैन, प्रेम कुशवाहा, सोनी लमन्दर, जगदीश यादव, कैलाश यादव, हरदयाल कुशवाहा, हरचरन कुशवाहा आदि ने बताया कि अब किसानों ने तिली की पैदावार की उम्मीद छोड़ दी है। कहर बनकर हुई इस बरसात से किसानों को बड़ा झटका लगा है। पहले से कर्ज में डूबे किसानों पर और बोझ बढ़ गया है। पहले भी ओलावृष्टि से मटियामेट हो चुकी फसलों की बर्बादी की भरपाई नहीं कर पाये थे अब और संकट पैदा हो गया। पिछले वर्ष का कई किसानों को अभी तक शासन मुआवजा नहीं दे पाया है। अब इन किसानों को दो वक्त की रोटी की ¨चता सताने लगी है। किसानों को जल्द राहत न मिली तो किसान बेहाल हो जायेंगे। पानी में कटेरा, कांडोर, यारा, साजेरा, ओबरी, बगवरी, लारोंन, भटा, नगाइच सहित पूरे क्षेत्र में क्षति हुई है।
उन्होंने जिला प्रशासन से नष्ट फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा की मांग की है।
रिपोर्ट- भूपेन्द्र गुप्ता

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