NIWARI NEWS: श्रीराम राजा सरकार मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय श्रीरामलीला उत्सव शुरू । #NB17 (NEWS17BHARAT)

अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता की शपथ ली


निवाड़ी। श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन, निवाड़ी के सहयोग से तीन दिवसीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन 13 से 15 अक्टूबर, 2025 प्रतिदिन सायं 7.00 बजे से श्रीराम राजा सरकार मंदिर प्रांगण, ओरछा में किया गया है। उत्सव में हमारी सभ्यता और संस्कृति की आदर्श कथा और उसके महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित की लीला प्रस्तुतियाँ संयोजित की जा रही हैं। जिसमें 13 अक्टूबर 2025 को  शबरी प्रसंग, श्रीराम-सुग्रीव मैत्री बालि वध, श्रीहनुमान का लंका गमन प्रसंग संयोजित किए गए। उत्सव के शुभारंभ दिवस पर दीप प्रज्ज्वलन दौरान कलेक्टर, निवाड़ी श्रीमती जमुना भिड़े, पुलिस अधीक्षक, निवाड़ी श्री  डॉ. राय सिंह नरवरिया, अपर कलेक्टर, निवाड़ी श्री रोहन सक्सेना के साथ अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। 
*शबरी प्रसंग :* वनवास के दौरान श्रीराम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत के निकट शबरी आश्रम पहुँचे। शबरी एक भीलनी थीं, जिन्होंने अपने गुरु मतंग ऋषि की आज्ञा से वर्षों तक राम की प्रतीक्षा की। वह सरल, निष्कलुष और भक्ति से परिपूर्ण थीं। राम के आगमन पर शबरी ने अत्यंत प्रेम से उन्हें जंगली बेर अर्पित किए। उन्होंने हर बेर को पहले चखकर मीठा होने पर ही राम को दिया। सांसारिक दृष्टि से यह अपवित्र प्रतीत होता है, परंतु प्रभु ने उसे अमूल्य भक्ति का प्रसाद मानकर ग्रहण किया।
*श्रीराम–सुग्रीव मैत्री :* शबरी के बाद राम की भेंट ऋष्यमूक पर्वत पर रहने वाले वानरराज सुग्रीव से हुई। उस समय सुग्रीव अपने भाई बालि के भय से निर्वासित जीवन जी रहा था। श्रीराम ने सुग्रीव को मित्रता का प्रस्ताव दिया। दोनों ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता की शपथ ली। सुग्रीव ने सीता की खोज में राम की सहायता करने का वचन दिया और बदले में राम ने बालि से उसका भय दूर करने का आश्वासन दिया। इस प्रकार राम–सुग्रीव मैत्री ने आगे सीता उद्धार की दिशा तय की।

*बालि वध :* सुग्रीव और बालि में घोर संघर्ष हुआ। पहले चरण में सुग्रीव हार गया, फिर राम ने पहचान के लिए सुग्रीव को गले में माला पहनाई। पुनः युद्ध हुआ और इस बार छिपकर राम ने बाण से बालि का वध कर दिया। मृत्युशैया पर बालि ने राम से प्रश्न किया कि आपने छिपकर प्रहार क्यों किया। राम ने धर्मसंगत उत्तर दिया कि बालि ने अपने भाई की पत्नी को हरण कर अधर्म किया था, और वह क्षत्रिय धर्म से इसका दंड भोग रहा है। बालि ने अपनी भूल स्वीकार की और अंगद को राम की शरण सौंप दिया।

*श्रीहनुमान का लंका गमन :* सुग्रीव ने वानरों को चारों दिशाओं में सीता की खोज के लिए भेजा। हनुमान, जाम्बवान और अंगद दक्षिण दिशा में गए। समुद्र तट पर पहुँचने पर हनुमान को अपनी सामर्थ्य की याद दिलाई गई। उन्होंने विराट रूप धारण कर समुद्र लांघा और लंका पहुँचे। वहाँ अशोक वाटिका में उन्हें सीता माता मिलीं। हनुमान ने राम की मुद्रिका देकर उन्हें आश्वस्त किया। सीता ने राम को संदेश भेजा। तत्पश्चात हनुमान ने लंका में अपनी शक्ति का परिचय दिया-राक्षसों का संहार किया, बंधन में बंधे और रावण के दरबार में पहुँचे। वहाँ उन्होंने राम का संदेश सुनाया और अपनी पूंछ में आग लगने पर लंका को जलाकर वापस लौटे।

उत्सव में 14 अक्टूबर 2025 मैनाक-सुरसा-सिंहिका-लंकिनी प्रसंग लंका दहन, विभीषण शरणागत सेतु निर्माण, लक्ष्मण शक्ति और समापन दिवस 15 अक्टूबर 2025 को कुम्भकर्ण-मेघनाद-अहिरावण-रावण वध, श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंगों का मंचन होगा। समारोह में आप सभी सादर आमंत्रित हैं प्रवेश निःशुल्क।
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DEVESH KUMAR GUPTA DIRECTOR NEWS 17TV