राजाराम साहू ग्रामीण ब्यूरो छतरपुर
पूरा मामला यह है कि नगर परिषद द्वारा घुवारा बस स्टेण्ड पर 25 और जंगल चौकी के समीप -04 दुकानों का निर्माण कार्य कराया गया था । बस स्टेण्ड की 15 दुकानों और जंगल चौकी की 04 दुकानों की नीलामी दस्तावेजों के अनुसार 15 सितम्बर 2011 को की गई थी । बस स्टेण्ड की शेष 10 दुकानों की नीलामी 28 अगस्त 2014 को नीलामी की गई थी ।
लेकिन दुकान की बोली लगाने वालों द्वारा नगर पंचायत में तय राशि जमा की गई , न ही वैधानिक रूप दुकान प्राप्त की गई । फिर भी दुकान प्राप्त कर्ताओं ने बिना राशि जमा किये, और कागजी कार्यवाही हुए बिना ही दुकानों को स्वयं उपयोग करके या अन्य लोगों को किराए पर देकर मनमाना किराया प्राप्त किया ।
उस समय नीलामी के दौरान नगरीय प्रशासन ने यह भी ध्यान नहीं रखा , कि दुकान प्राप्त करने वाले लोग स्थानीय हैं या बाहर के निवासी, दुकानदार स्वयं हैं या अन्य ,रसूखदार हैं या आम आदमी यह कोई भी नियम तैयार किये बिना ही सम्पूर्ण कार्यवाही की गई । जिससे प्रशासन को हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी ?
उपरोक्त गड़बड़ियों का जिम्मेदार कौन है ? इत्यादि अनेक विचारणीय बिंदु जेहन में उठते हैं ।
रविन्द्र जैन रवि ने मार्च- 2020 में दुकानों के आवंटन के विषय में सीएमओ नगर परिषद घुवारा श्री मिथलेश गिरी गोस्वामी जी से बात की तब उन्होंने कहा - कि यह समस्त प्रकरण संभाग आयुक्त कार्यालय में लंबित है ,समस्त नीलामी सम्बन्धी नस्तियाँ वहां भेजी जा चूकी हैं और मैं स्वयम् ही इस सम्बंध में आयुक्त कार्यालय जा रहा हूँ । इस प्रकरण का निराकरण एक महीने बाद हो जाएगा ।
अब आज मंगलवार को दोपहर में नगरीय प्रशासन द्वारा 20 दुकानों पर तालाबन्दी की कार्यवाही की गई । आपको बता दें नगर पंचायत कार्यालय द्वारा पूर्व में सभी दुकान प्राप्तकर्ताओं को नोटिस भी भेजे गए थे ।
जब रविन्द्र जैन रवि द्वारा दुकानदार भाइयों से बात की गई तो उनका कहना है - कि पहले हमारे रजिस्ट्रेशन कराए जाएं और दुकानें वैधानिक रूप से ही मिलनी चाहिए । हमें पहले लिखितरूप से आश्वासन दिया जाए कि पैसे जमा कराने के बाद दुकान हमें ही मिलेगी और हमारे नाम से ही रजिस्टर्ड होगी ।
क्योंकि जब इतने वर्षों तक कोई कार्यवाही ही नहीं हुई और हमारे नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ, तो हम कैसे भरोसा करें ।
तो वहीं सीएमओ गोस्वामीजी ने कहा - यदि दुकानदार निर्धारित राशि जमा करा देते हैं तो उनकी दुकान उन्हीं के नाम से ही रजिस्टर्ड करा दी जाएगी ।
नौ वर्ष पूर्ण होने के बाद भी निर्णय अभी भी अपूर्ण है ।
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