टोडीफतेहपुर(झांसी) वीरेंद्र तिवारी पिंटू महाराज।सोमवार को कस्वा के मुहल्ला नजरगंज में लंका टीला हनुमान मन्दिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिन कथा व्यास साध्वी आस्था व्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की कथा का बड़ा मनमोहक वर्णन किया।
कथा व्यास ने कथा में राम नाम की उपमा का वर्णन करते हुए बताया कि केवल राम नाम मात्र लेने से ही उद्धार हो जाता है कुंसग को छोड़ सत्संग को अपनाओ तभी कल्याण हो पाना सम्भव है,कथा व्यास द्वारा गाये गए भजन "तेरे फूलो से तेरे कांटो से प्यार,प्रभु जो भी देना चाहे दे दे मेरे सरकार" एवं "तेरी मर्जी में छुपा न कोई राज है, दुनिया चाहे हमसे रूठे प्रभु जी भुलाना नही" पर सभी श्रोतागण भाव विभोर हो गये।आगे कथा में भौमासुर,जरासंध कथा का विस्तार से वर्णन किया।
कथा व्यास ने गरीब सुदामा और द्वाराकाधीश के बचपन की मित्रता का बड़ा मनमोहक वर्णन करते हुए बताया जिसे सुन सभी श्रोताओ के आँखो से अश्रुधारा बहने लगी।
अपनी पत्नी सुशीला के लाख कहने पर गरीब सुदामा अपने बचपन के मित्र श्रीकृष्ण के महलों में मिलने गए।अपने मित्र को देने के लिए गरीब सुदामा के पास कुछ नही था अपनी पत्नी के द्वारा पड़ोस से मुठ्ठी भर चावल लेकर चल दिये सुदामा " शीश पगा न झगा तन पे प्रभु जाने को आये वसो किम ग्रामा, धोती पटी सी लटी दुपटी अरु पाय उपानन की नही सामा" जैसे ही सुदामा द्वारकाधीश के पास पहुँचे "देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोय, पानी परात को हाथ छुओ नही नैयनन के जल सो पग धोये" अपने मित्र सुदामा द्वारा भगवान करूणानिधि के लिए लाये गए चावलों को करुणानिधि ने बड़े प्रेम से खा कर तीन लोको का स्वामीपति बना दिया।इसलिए मित्र के साथ मित्रता भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो छल कपट की मित्रता न करो।कथा व्यास ने आगे बताया कि सुदामा दरिद्र नही थे सुदामा के पास कृष्ण रूपी सबसे बड़ा धन था इसलिए सुदामा एक सन्त थे।
सभी महिलाएं आज उन्ही सुदामा के चावलों को अपनी अपनी पोटली में बांध कर लाई कुछ वृद्ध महिलाएं तो चलने में भी असमर्थ थी पर भगवान के भाव मे चावलों को लेकर खिंची चली आई।जय हनुमान सेवा समिति के सदस्यों द्वारा सुदामा श्रीकृष्ण की बड़ी अलौकिक आनन्दमयी झांकी सजाई गई।कैलाश टेन्ट हाउस टोड़ी फतेहपुर द्वारा बड़ा सुन्दर पंडाल सजाया गया एवं साउंड सर्विस की सेवा की गई।जय हनुमान सेवा समिति के सदस्यों द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।

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