पीले मोंजिक से नष्ट हो रही उड़द की फसल,प्रकृति की मार से बेहाल किसान,!! NEWS 17!!

  
                
बड़ामलहरा।निरन्तर तीन वर्षों से प्रकृतिक आपदा के चलते बुन्देलखण्ड के इस आंचल में नष्ट होती खरीफ की फसलों ने किसान को तकदीर के तिराहे पर लाकर खड़ा कर दिया जहां अल्प बृष्टि से फसलें सूख रही है वही रही सही कसर पीले मोंजिक ने पूरी कर दी पीले मोजिक की वजह से उड़द के पत्ते पीले पड़ चुके हैं ।कृषि बिभाग के अधिकारी इसे वायरस का प्रकोप  बता कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे है ।
                       खरीफ फसल पूर्ण रूप से मानसूनी वर्षा पर निर्भर है ,सौं भाग्यवाद पर भरोसा करने बाले इस क्षेत्र के किसानो ने यह सोचकर कि शायद इस वर्ष खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियां रहे एवं अच्छी पैदावार हो जिसके चलते गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अधिक रकवे में खरीफ फसल बों डाली जिसमें उड़द का रकवा सबसे अधिक रहा गत वर्ष जहां खरीफ फसल का बोंया गया रकवा 47277 हैक्टर था जिसमें उड़द का रकवा 25660 हैक्टर था ।वही इस वर्ष का बोया गया रकवा 59493 हैक्टर जिसमें उड़द का रकवा 38013 हैक्टर में बोया गया यानि इस वर्ष फिर किसान ने उड़द पर दाव लगाया किन्तु इस बार फिर प्रकृति दगा कर गई एवं अल्प बृष्टि के चलते फसल सूखने लगी तथा किसान निराशा के भंवर मे डूबने लगा कि दो तीन दिन पूर्व शाम के समय बारिश की बौछारे भले ही फसल के लिए जीवन दायनी साबित हुई किन्तु फिर ना जाने क्या हुआ कि धूप निकलते ही पीले मोजिक ने पैर फैलाये तथा उड़द की फसल पीली पड़ गई जिसने किसान को तबाही की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया ।
    फसलों को बीमारियों से बचाव हेतु कृषि
    बिभाग  के पास नहीं है पूर्ण तैयारियां
         भले ही शासन कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात कर रहा हो किन्तु अगर इसकी प्रारंभिक तैयारियों की बात की जाये तो बिभाग के जुम्मेबार अधिकारी एवं कृषि बैज्ञानिक अभी तक मानसिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं हो सके कि फसलों को बीमारियों से बचाव हेतु किस दवा का उपयोग उचित रहेगा उड़द की फसल में पीला मोंजिक लगने पर किस दवा का छिड़काव किया जाये इस संबंध में कृषि बिभाग के सूत्रों का कहना है कि वैसे तो अभी इसकी कोई दवा नहीं हैं।इसमें सावधानी की जरूरत हें जब भी एक या दो पेड़ में पीला मोंजिक दिखाई दे उसे उखाड़ कर जमीन में दफन कर देना चाहिए क्योंकि यह छूत की बीमारी की तरह एक पेड़ से दूसरे में फैल जाती है।यह सावधानी उचित भी हैं किन्तु ऐसा कर पाना किसान के लिए संभव नहीं क्योंकि यह तभी दिखाई पड़ता हें जब खेत में ब्यापक रूप से फैल जाता है।कुल मिलाकर इस जिले में जो भी चल रहा है वह ठीक नहीं हैं।
                 खेती को लाभ का धंधा बनाने के लुभावने नारों से काम चलने बाला नहीं किसान को प्राकृतिक आपदा अति बृष्टि अल्प बृष्टि के अलावा फसलों मे होने बाली बीमारियों से निपटने के लिए कृषि बिभाग को  योजना बंध तरीखे से जुम्मेवारी तय कर काम करना होगा ।प्रकृति के प्रकोप से नष्ट होती किसानों की.फसलों.के.संबंध में बिभाग का जबाब सन्तोषजनक नहीं हैं हाल फिलहाल बिभाग ने किसानों के इस मुद्दे को गम्भीरता से नहीं लिया एवं एक सप्ताह के अन्दर इस दिशा में ठोस पहल की शुरुआत नहीं हुई तो किसान सड़कों पर उतर आयेगा फिर जो स्थिति बनेगी शायद बिभाग इससे बेखबर है।
                     इनका कहना हैं
         उड़द की फसल में पीला मोंजिक वायरस का प्रकोप हैं जो छूत की बीमारी की तरह फैलता है। किसानों को चाहिए कि जब भी किसी पेड़ मे यह दिखे उसे उखाड़ कर वही जमीन में गाढ़ दे जिससे यह फैल ना सके फिलहाल कोई ऐसी दवा नहीं जो तुरंत प्रभाव दिखा सके।
                 एस.पी.त्रिपाठी
                            एस.ए.डी.ओ. बड़ामलहरा

       आपके माध्यम से मेरे संज्ञान में उड़द की फसल में पीला मोजिक लगने की वात आई है मै नौगाव कृषि बैज्ञानिको को अवगत करा रहा हूँ वह जाकर देखेंगे  बैसे किसान इमिडेक्लोप्रिड दवा का छिड़काव करे जिससे कुछ हद तक इसके बढ़ते प्रकोप को रोका जा सकता हैं।
                   बी.पी.सूत्रकार 
                 एस.डी.ओ.(कृषि) बिजावर
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