मदद की आस में परिवार,10 वर्षों से कैद मानसिक विक्षिप्त लच्छनबाई


ताले में बंद होकर रह गई महिला की जिंदगी

जतारा क्षेत्र के सगरवारा गांव का मामला 
जतारा क्षेत्र अंतर्गत सगरवारा गांव में एक महिला 10 वर्षों से ताले में कैद है अपने परिवार और बच्चों का भरण पोषण करने वाली लच्छन बाई निरंजन आज परिवार के लिए बोझ बन गई मानसिक बीमारी ने उन्हें ऐसा जकड़ा कि यह बीमारी उसकी जिंदगी का ताला बन गई जिंदगी 10 वर्षों से काल कोठरी में कैद है परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण 10 वर्षों से ताले में कैद है परिजनों को शासन से मदद का इंतजार है। कहने को तो सरकार गरीबों के लिए विकास और उत्थान के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है लेकिन सागरवारा में 45 साल की महिला लच्छनबाई निरंजन की कोठरी में  सरकारी योजनाओं की रोशनी अभी नहीं पहुंची है यही कारण है कि मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला पिछले 10 वर्षों से कैदियों की तरह घर की कोठरी में बंद है।लच्छन बाई निरंजन के पति लक्ष्मी प्रसाद निरंजन का कहना है की जितनी क्षमता थी उतना इलाज करा लिया। ग्वालियर के डॉक्टर हर महीने आने को कहते थे लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण हम लच्छनबाई का इलाज नहीं करा पा रहा रहे हैं ।

ठीक हो सकती है लच्छनबाई

ग्रामीणों  से इस विषय पर चर्चा की तो उन्होंने बताया कि जितनी मदद हम लोगों से हो सकी हम लोगों ने की कई बार डाक्टरों से भी कहा लेकिन डॉक्टरों ने अनसुना कर दिया अगर सही तरीके से लच्छनबाई को इलाज मिल जाता है। तो वह है पहले की तरह जिंदगी जी सकती है।

इनका कहना है
यह एक गंभीर विषय है अगर 10 वर्षों से ताले में बंद है महिला तो मैं कल ही सगरवारा गांव जाकर देखता हूं  और उसे छुड़ाने की व्यवस्था करता हूं अगर उसे इलाज की जरूरत है तो उसे इलाज की व्यवस्था करवाता हूं
सौरभ सोनवणे, एसडीएम जतारा



जतारा से जमील खान की रिपोर्ट
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