संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में ध्रुव चरित्र की कथा का बड़ा मनमोहक वर्णन किया


जहाँ छल कपट मन मे मिलावट हो वहाँ प्रभु का वास नही करते है - साध्वी आस्था व्यास



टोड़ीफतेहपुर(झांसी)वीरेंद्र तिवारी पिन्टू महाराज-श्रीमद्भागवत कथा को सुनने बाले भक्तों की भीड़ निरन्तर बढ़ती जा रही है।कस्वा के मुहल्ला नजरगंज में लंका टीला बाले हनुमान मन्दिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा कथावाचिका साध्वी आस्था व्यास के मुखारविन्द से श्रवण कराई जा रही है।
कथावाचिका ने श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में बताया कि इस जगत में हर जगह ईश्वर का अंश स्थापित है,अतिथि दैवो भवः यानी अतिथि हमारे लिए देव के समान होता है,जो नारी का सम्मान नही करता है उसे भीष्म पितामह की तरह कष्टो की पीड़ा सहनी पड़ती है।आगेकथा में बताया की भगवान को मिलावटी वस्तु बिल्कुल पसन्द नही है भगवान श्रीकृष्ण को इसी लिए मक्खन पसन्द है जिसमे कोई मिलावट नही होती है।बेईमानी से कमाए हुए धन पर कलयुग बास होता है इसलिए झूठ फरेब से कभी धन नही कमाना चाहिए व्यक्ति को कर्म से अपना पद ऊँचा करना चाहिए।
कथा व्यास ने बताया कि भगवान दिखावटी भक्ति से प्रसन्न नही होते है,तीन भक्तियो  परीक्षा,समीक्षा एव प्रतीक्षा के बारे में विस्तार से बताया, मनुष्य को कभी अपना चरित्र नही खोना चाहिए संसार मे केवल चरित्र की ही पूजा होती है मनुष्य ने अगर एक बार चरित्र खो दिया तो समझो उसने अपना सर्वस्तय खो दिया।
भीष्म पितामह कथा ध्रुव चरित्र,दुर्वासा ऋषि की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया जिसे श्रोता मनमुग्ध हो गए कथा में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की उपस्थिति ज्यादा रही।
कथा के अंत मे परीक्षत नवलकिशोर बन्देया ने श्रीमद्भागवत पुराण की मंगल आरती उतार आशीर्वाद ग्रहण किया।
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