निवाडी। देवेश गुप्ता। म.प्र. विधानसभा के चुनाव
के बीच निवाड़ी विधानसभा में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी श्री मती मीरा दीपक यादव के पुत्र दीपांकर यादव मून भैया द्वारा गांव गांव गली गली किये जा रहे जनसम्पर्क मे बड़े बूढों का अपार स्नेह एवं नवयुवाओं का सहयोग दर्शनीय बना हुआ है। प्रारंभिक शिक्षा रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल झांसी से प्राप्त कर हिन्दुस्तान के लब्ध प्रतिष्ठित 'पाथवे ' स्कूल से शिक्षा प्राप्त दीपांकर यादव की शैली में नम्रता और आत्मीयता की झलक देखते ही बनती है। लड़वारी के ठाकुरदास पाल कहते हैं कि मून भैया जिस आत्मीयता से मिलते हैं और बड़े बुजुर्गो को सम्मान देते हैं उससे उनके संस्कार स्पष्ट दिखाई देते है उनमें पिता का संघर्ष मैं और लोगों की सेवा करने की भावना एवं मां की सहजता एवं नम्रता देखते ही बनती है मून भैया इस क्षेत्र के सितारा है। मून भैया के पिता बुन्देलखण्ड में 1001 बहिनो के भाई के नाम से सुशोभित दीपनारायण सिंह अपने भाषणों में अक्सर जिक्र करते हैं कि मून को उनकी मां सुबह 4 बजे जगा कर पढ़ने बैठा देती थी मैं कहता था बच्चा है सोने दो तो मीरा कहती थी नहीं यदि अभी से तपस्या नही सिखाई तो ये जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे ।
के बीच निवाड़ी विधानसभा में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी श्री मती मीरा दीपक यादव के पुत्र दीपांकर यादव मून भैया द्वारा गांव गांव गली गली किये जा रहे जनसम्पर्क मे बड़े बूढों का अपार स्नेह एवं नवयुवाओं का सहयोग दर्शनीय बना हुआ है। प्रारंभिक शिक्षा रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल झांसी से प्राप्त कर हिन्दुस्तान के लब्ध प्रतिष्ठित 'पाथवे ' स्कूल से शिक्षा प्राप्त दीपांकर यादव की शैली में नम्रता और आत्मीयता की झलक देखते ही बनती है। लड़वारी के ठाकुरदास पाल कहते हैं कि मून भैया जिस आत्मीयता से मिलते हैं और बड़े बुजुर्गो को सम्मान देते हैं उससे उनके संस्कार स्पष्ट दिखाई देते है उनमें पिता का संघर्ष मैं और लोगों की सेवा करने की भावना एवं मां की सहजता एवं नम्रता देखते ही बनती है मून भैया इस क्षेत्र के सितारा है। मून भैया के पिता बुन्देलखण्ड में 1001 बहिनो के भाई के नाम से सुशोभित दीपनारायण सिंह अपने भाषणों में अक्सर जिक्र करते हैं कि मून को उनकी मां सुबह 4 बजे जगा कर पढ़ने बैठा देती थी मैं कहता था बच्चा है सोने दो तो मीरा कहती थी नहीं यदि अभी से तपस्या नही सिखाई तो ये जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे ।
आज माता पिता के दिए गए संस्कार मून भैया के आचरण में दिख रहे हैं जब कुलुआ ग्राम में मिश्रा जी के परिवार में उनकी वयोवृद्ध मां ने आशीर्वाद दिया कि बेटा इतना पढ़ा लिखा होने के बाद ऐसे संस्कार तुम्हारे मिलने में जो नम्रता है वो बहुत कम देखने को मिलती है।
लड़वारी, राजापुर, कुलुआ, मजरा, मकारा, तरीचर, असट्टी भ्रमण के समय बड़े बुजुर्गो का जहां भरपूर आर्शीवाद मिला वही सैकड़ो नवयुवा साथी उनके दोस्त बनकर उनके साथ निकल पड़े। मून के दोस्त अरुण दुबे, विशाल कुशवाहा, विनीत अहिरवार, देवेन्द्र यादव, अनूप कोरी कहते हैं कि मून भैया में जो सहजता व मिलनसारिता है उससे उनसे दोस्ती करने से हमारे जीवन में एक अच्छे दोस्त की कमी पूरी हुई। मून यदि किसी को परेशानी में देखते हैं तो अपने पिता की भांति उसकी हरसंभव कोशिश में लग जाते है। कल बरुआसागर में रास्ते में एक दुर्घटना में रास्ते में लेटे परिवार को अपनी गाड़ी में बैठाकर निवाडी अस्पताल लाये उनका इलाज कराया तथा उनके घर छोड़ने की व्यवस्था की। क्षेत्र में भ्रमण के दौरान अगर ग्रामीणजन अपनी कोई समस्या बताते हैं तो मून तुरन्त द्रवित होकर उसकी सहायता के लिये तत्पर हो जाते हैं। उनकी इस सरलता व मिलनसारिता ने कम समय में इस युवा को एक अलग पहचान के साथ लोकप्रियता दी है। बड़े बुजुर्गो का मिलता अपार स्नेह, आर्शीवाद व युवाओं का सहयोग राजनीतिक परिदृश्य में क्या नये इशारे का संकेत है यह वक्त तय करेगा।
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